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कोशिश कर

कोशिश कर , हल निकलेगाआज नहीं तो, कल निकलेगा।अर्जुन के तीर सा सध,मरुस्थल से भी जल निकलेगा। मेहनत कर , पौधों को पानी दे,बंजर जमीन से भी फल निकलेगा।ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे,फौलाद का भी बल निकलेगा। जिंदा रख, दिल में उम्मीदों को,गरल के समंदर से भी गंगाजल निकलेगा।कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने …

Life is a war

युद्ध नहीं जिनके जीवन में वे भी बहुत अभागे होंगे या तो प्रण को तोड़ा होगा या फिर रण से भागे होंगे दीपक का कुछ अर्थ नहीं है जब तक तम से नहीं लड़ेगा दिनकर नहीं प्रभा बाँटेगा जब तक स्वयं नहीं धधकेगा कभी दहकती ज्वाला के बिन कुंदन भला बना है सोना बिना घिसे …

सिहासन खाली करो

सदियों की ठंढी-बुझी राख सुगबुगा उठी, मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है; दो राह,समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो, सिंहासन खाली करो कि जनता आती है। जनता?हां,मिट्टी की अबोध मूरतें वही, जाडे-पाले की कसक सदा सहनेवाली, जब अंग-अंग में लगे सांप हो चुस रहे तब भी न कभी मुंह खोल दर्द कहनेवाली। जनता? हां,लंबी – बडी जीभ की वही कसम, “जनता,सचमुच ही, बडी …

खूनी हस्ताक्षर

वह खून कहो किस मतलब काजिसमें उबाल का नाम नहीं।वह खून कहो किस मतलब काआ सके देश के काम नहीं।वह खून कहो किस मतलब काजिसमें जीवन, न रवानी है!जो परवश होकर बहता है,वह खून नहीं, पानी है!उस दिन लोगों ने सही-सहीखून की कीमत पहचानी थी।जिस दिन सुभाष ने बर्मा मेंमॉंगी उनसे कुर्बानी थी।बोले, “स्वतंत्रता की …

RashmiRathi-2

भगवान सभा को छोड़ चले,करके रण गर्जन घोर चले सामने कर्ण सकुचाया सा,आ मिला चकित भरमाया सा हरि बड़े प्रेम से कर धर कर,ले चढ़े उसे अपने रथ पर रथ चला परस्पर बात चली,शम-दम की टेढी घात चली, शीतल हो हरि ने कहा, “हाय,अब शेष नही कोई उपाय हो विवश हमें धनु धरना है,क्षत्रिय समूह …

Mundari

मुंदरी उरझी गई राधिका की लट विच… ढूंढ्त फिरत श्याम अपनी मुन्दरिया, ललिता ने पाई लई मुंदरी सहेज लई… श्याम जी को जाय दई हीरे की मुन्दरिया, बोली इठलाई कछु भेंट तो निकारो श्याम… तो बोले श्याम चुमी लो मोरी या अंगुरिया, चुमत हँसत जात ललिता कहत जात…. राम करे खोई जाये तोरी या बाँसुरिया….!!