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Mundari

मुंदरी उरझी गई राधिका की लट विच… ढूंढ्त फिरत श्याम अपनी मुन्दरिया, ललिता ने पाई लई मुंदरी सहेज लई… श्याम जी को जाय दई हीरे की मुन्दरिया, बोली इठलाई कछु भेंट तो निकारो श्याम… तो बोले श्याम चुमी लो मोरी या अंगुरिया, चुमत हँसत जात ललिता कहत जात…. राम करे खोई जाये तोरी या बाँसुरिया….!!

यह तो प्रेम की बात है उधो

यह तो प्रेम की बात है उधो,बंदगी तेरे बस की नहीं है।यहाँ सर देके होते सौदे,आशकी इतनी सस्ती नहीं है॥ प्रेम वालों ने कब वक्त पूछा,उनकी पूजा में सुन ले ए उधो।यहाँ दम दम में होती है पूजा,सर झुकाने की फुर्सत नहीं है॥ जो असल में हैं मस्ती में डूबे,उन्हें क्या परवाह ज़िन्दगी की।जो उतरती …

मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो

मैया मोरी मैं नहिं माखन खायो | भोर भयो गैयन के पाछे, मधुवन मोहिं पठायो ।चार पहर बंसीबट भटक्यो, साँझ परे घर आयो ॥ मैं बालक बहिंयन को छोटो, छींको किहि बिधि पायो ।ग्वाल बाल सब बैर परे हैं, बरबस मुख लपटायो ॥ तू जननी मन की अति भोरी, इनके कहे पतिआयो ।जिय तेरे कछु …